प्रयागराज। स्वास्थ्य विभाग में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली ASHA (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) अब आयुष्मान भारत योजना में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। गांवों में भ्रमण करेंगी और यह पता करेंगी कि ऐसे कौन लोग हैं जो आयुष्मान भारत योजना के पात्र लाभार्थी तो हैं लेकिन उनका आयुष्मान कार्ड अभी तक नहीं बना है। ऐसे लोगों की पहचान कर उनका आयुष्मान कार्ड बनवाएंगी। इसके लिए प्रयागराज में फेस ऑथेंटिकेशन मोबाइल एप्लीकेशन तैयार किया गया है। इस एप्लीकेशन के माध्यम से आयुष्मान कार्ड बनाने में मदद करेंगी।
ASHA को सरकार देगी प्रोत्साहन राशि
आयुष्मान भारत (प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना) के नोडल अधिकारी डा. राजेश सिंह ने बताया कि फेस ऑथेंटिकेशन एप्लीकेशन (पीएम जय) मोबाइल एप है। इसके माध्यम से ASHA जनपद के उन पात्र लाभार्थियों की पहचान करेंगी, जिनके आयुष्मान कार्ड अब तक नहीं बन पाए हैं। उन्होंने बताया आशा कार्यकर्ताओं को मोबाइल एप का प्रशिक्षण दिया जाना है। मोबाइल एप के माध्यम से आशा कार्यकर्ता फेस ऑथेंटिकेशन करते हुए लाभार्थी का चिह्नाकन करेंगी व उनका आयुष्मान कार्ड बनाएंगी। इस काम के लिए ASHA को प्रतिकार्ड निश्चित धनराशि प्रोत्साहन के रूप में सीधे उनके बैंक खाते में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
जानिए, कैसे काम करेगा यह मोबाइल एप
फेस ऑथेंटिकेशन एप्लीकेशन (पीएम जय) मोबाइल एप पर KYC के माध्यम से लाभार्थी का चिह्नाकन और उसका आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए आधार कार्ड के माध्यम से उसकी पहचान की जाएगी। फिर विभिन्न प्रक्रिया से गुजरते हुए सभी जरूरी जानकारी एप पर दिए गए फार्म में भरनी होगी। इसके लिए चार डिजिट का एक पिन जनरेट होगा और छह डिजिट का OTP (वनटाइम पासवर्ड) आएगा। यह प्रक्रिया पूरी करने के बाद यह पता चल जाएगा कि संबंधित व्यक्ति योजना का पात्र हैं या नहीं। यदि वह व्यक्ति पात्र होगा तो फेस ऑथेंटिकेशन के आधार पर उसका आयुष्मान कार्ड बनाया जाएगा। इस कार्य का किसी लाभार्थी को कोई शुल्क नहीं देना है |
नोडल अधिकारी ने लोगों से अपील की है कि क्षेत्रीय आशा के अलावा किसी अनजान व्यक्ति को फोन पर ओटीपी अथवा पिन की जानकारी नहीं देनी है।
यह हैं प्रयागराज के आंकड़े
डॉ. राजेश सिंह ने बताया कि 13,98,385 के सापेक्ष 4,45,349 आयुष्मान योजना के लाभार्थी कार्ड बन चुके हैं। उन्होंने बताया कि आयुष्मान भारत योजना से जनपद में कुल 179 अस्पताल सूचीबद्ध हैं। इनमें 33 सरकारी व 146 निजी अस्पताल हैं। योजना के तहत लगभग 38,000 मरीजों ने लाभ लिया है, जिसके लिए 24,95,45,445 करोड़ रुपये की राशि अस्पतालों की दी जा चुकी है।