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परिंदा भी नहीं मार पाएगा पर : सीमा की रखवाली को लेकर जानिए क्या है इसरो प्रमुख की नई प्लानिंग

 

दावा- सैटेलाइट निगरानी हुई तो परिंदा भी पर नहीं मार सकेगा

नई दिल्ली । देश की सीमाओं की सुरक्षा को लेकर हर दौर की सरकारों के सामने चुनौतियां रही हैं। मोदी सरकार भी इससे दो-चार हो रही है, ऐसे में इसरो प्रमुख ने सीमा चौकसी का जो फारमूला बताया है वह कारगर साबित हो सकता है। भारत की सीमाएं प्राकृतिक चुनौतियों से भरी हुई हैं। इन सीमाओं की सुरक्षा मानवीय तौर पर करना बहुत ही चुनौती पूर्ण काम है। ऐसे में इसरो चीफ ने सीमा सुरक्षा में लगे सैनिकों के भार को कम करने वाला प्लान साझा किया है। यह प्लान आगामी तीन वर्षों के लिए सीमा सुरक्षा से जुड़ा बताया गया है। उन्होंने बताया कि आने वाले तीन सालों में सीमा सुरक्षा और तटीय सुरक्षा को कड़ा करने के लिए सुरक्षा की दृष्टि से 100-150 उपग्रह और जोड़े जाएंगे। पहलगाम में हुए आतंकियों द्वारा किए गए हमले के बाद लोगों के मन में भारतीय सीमाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं तो ये तकनीक कारगर सावित हो सकती है।

यहां पर इसरो चीफ ने कहा कि हमें अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए बहुत सारे उपग्रहों की आवश्यकता है, जितने हमारे पास हैं, वह पर्याप्त नहीं है। हमारा मानना है कि आगामी तीन सालों में हम करीब 100 से 150 उपग्रह इस काम में लगाएंगे। इस काम के जरिए देश की निगरानी में और भी ज्यादा सहूलियत होगी और हमारे सैनिकों का काम भी थोड़ा आसान होगा।एक कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले को लेकर सीमा सुरक्षा से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए अंतरिक्ष विभाग के सचिव नारायणन ने कहा कि सीमा पर चुनौतियों को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार पेश करने का प्रस्ताव दिया था। इसके तहत हमने इस क्षेत्र में निजी खिलाड़ियों की भागीदारी को भी अनुमित दी है। फिलहाल भारतीय सीमाओं की रक्षा के लिए करीब 55 उपग्रह काम कर रहे हैं लेकिन हम एक ऐसे देश हैं जिसकी तटीय सीमा ही लगभग 7500 किलोमीटर है और हमें इसकी निगरानी 24 घंटे करनी होती है, जमीनी सीमा की सुरक्षा के लिए भी हमें और भी ज्यादा उपग्रह चाहिए तो ऐसे में 55 उपग्रह पर्याप्त नहीं है।

इसरो चीफ ने सीमा सुरक्षा संबंधी मामलों पर अपनी राय रखने के अलावा इसरो की हालिया तकनीकि उपलब्धि पर भी अपडेट दिया। उन्होंने कहा कि भारत ने इस सप्ताह की शुरुआत में अपने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट मिशन के तहत उपग्रहों की दूसरी सफल डॉकिंग पूरी कर ली है। यह एक ऐसी उपलब्धि है जो भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन समेत उन तमाम देशों की फेहरिस्त में शामिल कर देता है जो ऐसी डॉकिंग करने में सक्षम हैं। इस स्थिति में इसरो चीफ का प्लान कारगर साबित होने की उम्मीद जाहिर की जा रही है, बशर्ते जो कमियां हैं उन्हें पूरा करते हुए खामियों को दूर कर लिया जाए।

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