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केजरीवाल के खिलाफ क्या चेहरा देगी भाजपा, जानिए क्या है गेम प्लान?…

नई दिल्ली (ईएमएस)। दिल्ली में विधानसभा चुनाव अब बेहद नजदीक है। तारीखों के ऐलान से पहले ही आम आदमी पार्टी (आप) उम्मीदवारों की घोषणा से लेकर प्रचार अभियान तक में जुट गई है। दूसरी तरफ आप से सत्ता छीनने को बेकरार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस बात पर मंथन में जुटी है कि दिल्ली चुनाव में मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरा घोषित करके उतरा जाए या राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र जैसे राज्यों की तर्ज पर जीत हासिल करके सेहरा बांधा जाए। सूत्रों के मुताबिक, इस बात को लेकर लगभग सहमति बन चुकी है कि केजरीवाल के खिलाफ कोई चेहरा दिए बिना सामूहिक नेतृत्व के साथ उतरा जाए। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, शीर्ष नेतृत्व की मंशा है कि दिल्ली में चुनाव से पहले कोई चेहरा घोषित करने की आवश्यकता नहीं है। जिस तरह पार्टी ने हाल के समय में एक के बाद एक कई राज्यों में सीएम उम्मीदवार की घोषणा किए बिना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा है और जीत भी हासिल की है, उसी फॉर्मूले को दिल्ली में भी आजमाने की तैयारी है।
 पार्टी का यह भी मानना है कि अरविंद केजरीवाल के खिलाफ 10 साल की एंटी इंकंबेंसी है और इस समय चेहरा नहीं बल्कि मुद्दे प्रधान होंगे। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि दिल्ली में सड़कों की खराब हालत, वायु और यमुना का प्रदूषण, मुख्यमंत्री आवास में सुख सुविधा पर भारी खर्च और आम आदमी पार्टी की सरकार, बड़े नेताओं पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप जैसे मुद्दों को केंद्र में रखकर चुनाव लड़ने से सफलता मिल सकती है। एक सूत्र ने कहा आवश्यकता इस बात की है कि पूरी पार्टी एकजुट होकर आप सरकार की विफलताओं और अधूरे वादों को जनता के बीच पहुंचाए। पार्टी के एक नेता ने पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर कहा कि चेहरा घोषित करने पर गुटबाजी की गुंजाइश भी होती है, जिससे नुकसान हो सकता है। वह यह भी तर्क देते हैं कि इससे पहले 2015 में पार्टी ने किरण बेदी को उम्मीदवार बनाया लेकिन महज 3 सीटों पर जीत मिली। इससे पहले अटकलें थीं कि भाजपा दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कोई चेहरा उतार सकती है। चर्चा थी कि स्मृति ईरानी जैसी तेज तर्रार महिला नेता को भी आगे किया जा सकता है। हालांकि, इससे लोकल लीडरशिप में असंतोष पनपने की भी आशंका थी। पार्टी ने इस बात पर भी गौर किया है कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा जैसे राज्यों में पार्टी ने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए बिना चुनाव लड़ा और बड़ी जीत हासिल की है। अब इसी फॉर्मूले को दिल्ली में भी आजमाया जा सकता है।

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