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कुम्भ मेला प्रशासन और अखाड़ों के संतों के बीच बेहतर समन्वय से अखाड़ों की बसावट का चरण पूरा

कुम्भ क्षेत्र में सभी 13 अखाड़ों की भूमि आवंटन की प्रक्रिया हुई पूरी

–तीनों वैष्णव अखाड़ों के प्रमुख संतों की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ शेष अखाड़ों का आवंटन

–अखाड़ों ने अपनी अपनी भूमि पर कराया सीमांकन, सभी परम्पराओं का केंद्र बनेगा कुम्भ क्षेत्र

प्रयागराज, 19 नवम्बर (हि.स.)। संगमनगरी में होने जा रहे विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम महाकुम्भ में आस्था के रंग बिखरने लगे हैं। कुम्भ क्षेत्र में सनातन धर्म के शिखर 13 अखाड़ों की बसावट का पहला चरण आज पूरा हो गया है।

 

वैष्णव अखाड़ों की कुम्भ क्षेत्र में आवंटित हुई भूमि

महाकुम्भ में जन आस्था के सबसे बड़े आकर्षण अखाड़ों के लिए भूमि आवंटन का चरण पूरा हो गया। सीएम योगी के निर्देश पर मेला प्रशासन ने अखाड़ों के संतों की सहमति से कुम्भ क्षेत्र में छावनी बसाने के लिए सभी 13 अखाड़ों को भूमि आवंटित कर दी। मंगलवार को तीन वैष्णव अखाड़ों को भी कुम्भ क्षेत्र के अखाड़ा सेक्टर में मेला प्रशासन की तरफ से भूमि का सीमांकन हेतु उन्हें भूमि प्रदान कर दी गई।

एडीएम कुम्भ विवेक चतुर्वेदी बताते हैं कि अखाड़ों के संतो के साथ सहमति और विचार विमर्श के बाद 18 और 19 नवम्बर को भूमि वितरण का जो कार्यक्रम रखा गया था, उसी के अनुरूप मंगलवार को तीनों वैष्णव अखाड़ों को कुम्भ क्षेत्र में भूमि वितरित कर दी गई। इस अवसर श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा, श्री दिगंबर अनी अखाड़ा और श्री निर्वाणी अनी अखाड़ा के प्रमुख पदाधिकारी और संत उपस्थित रहे। श्री निर्वाणी अनी अखाड़े के अध्यक्ष महंत मुरली दास का कहना है कि मेला प्रशासन के साथ सहमति के बाद अखाड़ों को आवश्यक भूमि का आवंटन हो गया है। अब भूमि पर टीन का घेरा करने के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होगी।

13 अखाड़ों को आवंटित की गई 100 बीघे भूमि

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दिव्य और भव्य महाकुम्भ के आयोजन की परिकल्पना ने कुम्भ क्षेत्र में उतरना शुरू हो गई है। जन आस्था के वाहक और सनातन संस्कृति के प्रतीक अखाड़ों को भूमि आवंटन की प्रकिया का समापन हो गया है। कुम्भ क्षेत्र में मंगलवार को तीन वैष्णव अखाड़ों को भी भूमि वितरित कर दी गई। संन्यासी और उदासीन अखाड़ों के संतों को सोमवार को ही भूमि का आवंटन किया जा चुका है। इस तरह सौ बीघे से अधिक की भूमि अखाड़ों के संतो की सहमति से उन्हें वितरित कर दी गई। अखाड़ों के बाद अब दंडी बाड़ा, आचार्य बाड़ा, खाकचौक व्यवस्था समिति और खालसों को भूमि वितरित की जाएगी।

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