-08 कपंनी अर्द्धसैनिक बल के साथ 6500 सौ पुलिसकर्मी तैनात
-1,66325 कुल डाक मतपत्रों में अभी तक 1,07314 प्राप्त
-उत्तराखंड को 20 साल में मिले 11 मुख्यमंत्री
देहरादून । उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा की मतगणना के लिए 70 विधानसभा सीटों पर कुल 632 उम्मीदवारों के भविष्य का फैसला गुरुवार को होगा। मतगणना सुबह 8 बजे से शुरू होगी। सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती और उसके बाद ईवीएम मतों की गणना होगी। निर्वाचन आयोग की ओर से मतगणना को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मतगणना स्थलों के चारों और सुरक्षा के चाक चौबंद व्यवस्था की गई है। कांग्रेस और भाजपा सहित अन्य दलों की ओर से मतगणना और आगामी रणनीति को लेकर दिनभर मैराथन बैठकें चलती रहीं।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी सौजन्या की ओर से बुधवार को बताया गया कि प्रदेश के सभी 13 जिलों की 70 विधानसभा सीटों पर होने वाली मतगणना को शांतिपूर्ण तरीके से कराने के लिए निर्वाचन आयोग ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है। मतगणना स्थलों पर केंद्रीय सशस्त्र बल सहित उत्तराखंड पुलिस के अलग-अलग इकाइयों की भारी संख्या में फोर्स लगाई गई है। इसके साथ ही निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर मतगणना की पूरी जानकारी दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि मतगणना के लिए प्रदेश की सभी 70 विधानसभा में 70 पर्यवेक्षकों की तैनाती के साथ ही प्रदेशभर में मतगणना के लिए लगभग 7681 कर्मिकों की तैनाती की गई है। इनमें 1296 माइक्रो आब्जर्वर शामिल हैं। इसी प्रकार सुरक्षा के लिए 08 कंपनी केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बल, 14 कंपनी पीएसी और लगभग 6500 सौ राज्य पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी की ओर से मतदान की तरह मतगणना को भी सभी से शांतिपूर्ण क कराने के लिए कानून व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग अपील की गई है।
प्रदेश में मतगणना के लिए कुल 11,697 पीएस और काउंटिंग टेबल 907 इटीपीबीस प्री काउंटिंग के लिए 386 टेबल और बैलेट पोस्टल के लिए 389 टेबल लगाई गई हैं। सुबह सुबह आठ बजे डाकमत पत्रों की गणना की जाएगी। इसके 30 मिनट बाद ईवीएम मतों की गिनती प्रारंभ होगी। डाकमत पत्रों की सभी लिफाफे 10 मार्च को सुबह 08 बजे तक शामिल किया जाएगा।
उत्तराखंड में कुल सर्विस मतदाताओं के लिए 94471 जारी किए गए हैं जबकि निर्वाचन ड्यूटी में तैनात कर्मियों की मतपत्रों की संख्या 54996 है। इसके अलावा 80 वर्ष से अधिक आयु के 16,858 वोटर हैं। इस प्रकार कुल 1,66325 कुल मतपत्र डाक से जारी किए गए हैं। अभी तक 1,07314 डाकमत पत्र 08 मार्च तक प्राप्त हुए हैं। इनमें से सर्विस मतदाताओं की संख्या 42,110 और निर्वाचन ड्यूटी में तैनात 49,264 मत और 80 से अधिक आयु और दिव्यांग श्रेणी के 15940 मतदाताओं के मत डाक से प्राप्त हुए हैं।
उत्तराखंड के 82.66 लाख मतदाताओं ने 70 सीटों के लिए मैदान में उतरे 632 उम्मीदवार के भाग्य का फैसला करेगी। इनमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और आम आदमी पार्टी का मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किए गए कर्नल अजय कोठियाल समेत अन्य नेता शामिल हैं। भाजपा, कांग्रेस और आप के 70-70 उम्मीदवार हैं। बसपा के 60, सपा के 56 और उक्रांद के 46 उम्मीदवारों के अलावा 260 अन्य उम्मीदवार भी हैं।
भाजपा और कांग्रेस के बीच मत प्रतिशत-
उत्तराखंड बनने के बाद पहले तीन विधानसभा चुनाव में मत प्रतिशत को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच दो प्रतिशत का अंतर रहा। साल 2002 के पहले आम चुनाव में कांग्रेस को 26.91 प्रतिशत और भाजपा को 25.45 और मत मिले। इस दौरान राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी। साल 2007 में भाजपा को 31.90 और कांग्रेस को 29.59 प्रतिशत मत मिले। इस बार सत्ता बदलकर भाजपा के पास चली गई। वर्ष 2012 में कांग्रेस को 33.79 और भाजपा को 33.13 प्रतिशत मत मिले थे। इस बार भाजपा को सत्ता से बेदखल कर कांग्रेस आ गई।
लोकसभा चुनाव 2017 के चुनाव में भाजपा को 46.50 और कांग्रेस को मात्र 33.50 प्रतिशत मत से संतोष करना पड़ा था। नतीजन 70 में से 57 सीटों पर भाजपा को जीत हासिल हुई। लोकसभा चुनाव साल 2019 के परिणाम उत्तराखंड कांग्रेस के सभी नेताओं के लिए बेहद चौंकाने वाले रहे। कांग्रेस का हर उम्मीदवार दो लाख से अधिक वोटों से हारा था। नैनीताल-लोकसभा सीट कांग्रेस ने 3,39, 096, हरिद्वार सीट 2, 58, 729, पौड़ी 3,02, 669, टिहरी 3,00,586 और अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ सीट 2,32,986 मतों के अंतर से गंवाई थी। लोकसभा चुनाव में 60.70 प्रतिशत मत अकेले भाजपा को मिले थे।
उत्तराखंड को अब तक मिले 11 मुख्यमंत्री-
उत्तराखंड में एक और मिथक यह भी है कि मुख्यमंत्री रहते चुनाव लड़ने वाले सत्ता में दोबारा वापसी नहीं कर पाए हैं। इस बार यह मिथक टूटता है या नहीं 10 मार्च को मतगणना के बाद स्पष्ट हो जाएगी। उत्तराखंड के 20 साल के सियासी सफर में अब तक कुल 11 मुख्यमंत्री मिले हैं। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ही अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करने में सफल रहे हैं। साल 2002 से 2007 तक कांग्रेस सत्ता में रही। फिर 2007 में सत्ता परिवर्तन हुआ तो भाजपा की सरकार बनी। 2012 में कांग्रेस ने फिर वापसी की और दो मुख्यमंत्री दिए। इसके बाद 2017 में भाजपा ने प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई और पांच साल में तीन मुख्यमंत्री के चेहरे बदले।