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इन 5 प्वाइंट्स में समझिए ‘अघोरियों’ की रहस्यमयी दुनिया, यहाँ लीजिये पूरी जानकारी

अघोरी साधुओं का जीवन साधारण से बिल्कुल अलग, रहस्यमयी और अद्वितीय होता है। यह साधु जीवन-मृत्यु के बंधनों से मुक्त होकर श्मशान भूमि में अपनी साधना करते हैं। उनका उद्देश्य सांसारिक मोह-माया से दूर होकर मोक्ष प्राप्त करना है। अघोर पंथ के अनुयायी भगवान शिव को पूजते हैं और उन्हें ‘महाकाल’ के रूप में मानते हैं।

अघोरी साधु कौन होते हैं?

अघोरी साधु भगवान शिव के भक्त होते हैं, जो सामाजिक मान्यताओं जैसे पवित्रता और अपवित्रता, जीवन और मृत्यु के भेदभाव से परे रहते हैं। उनके अनुसार मृत्यु ही एकमात्र सत्य है। यही कारण है कि वे श्मशान घाट पर साधना करते हैं।

अघोरी साधुओं की साधना का उद्देश्य

अघोरी साधुओं का मुख्य उद्देश्य मोक्ष प्राप्त करना और आत्मा को सांसारिक बंधनों से मुक्त करना है। वे मानते हैं कि शिव ही सृष्टि के रचयिता, पालनकर्ता और संहारक हैं।

अघोरी बनने की प्रक्रिया

अघोरी बनने के लिए साधारण जीवन से कठिन और रहस्यमयी परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है।

1. दीक्षा प्रक्रिया

अघोर पंथ में दीक्षा प्राप्त करना आसान नहीं है।

  • शिष्य को दीक्षा लेने से पहले गुरु की सेवा में तीन साल बिताने होते हैं।
  • इस अवधि में उसके धैर्य, समर्पण और साहस की परीक्षा ली जाती है।
  • दीक्षा प्रक्रिया का उद्देश्य शिष्य को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करना होता है।

2. गुरु-शिष्य परंपरा

अघोरी साधुओं का ज्ञान किताबों से नहीं, बल्कि गुरु के मार्गदर्शन से प्राप्त होता है। गुरु ही शिष्य को अघोर पंथ की गहन और रहस्यमयी शिक्षाओं से परिचित कराते हैं।

अघोरी साधुओं की साधना के प्रकार

अघोरी साधुओं की साधना तीन प्रमुख प्रकारों में विभाजित होती है:

1. श्मशान साधना

  • यह साधना श्मशान घाट पर की जाती है।
  • अघोरी मानसिक और आत्मिक शांति प्राप्त करने के लिए यहां ध्यान करते हैं।
  • उनका मानना है कि श्मशान में मृत्यु के करीब रहकर आत्मा की गहराई को समझा जा सकता है।

2. शिव साधना

  • शिव साधना भगवान शिव की आराधना का विशेष रूप है।
  • इसमें अघोरी शिव को ब्रह्मांड के रचयिता और संहारक मानते हुए उनकी पूजा करते हैं।

3. शव साधना

  • इस साधना में मृत शरीर का उपयोग किया जाता है।
  • शव पर मांस और मदिरा अर्पित की जाती है, जिसे अघोरी आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए उपयोगी मानते हैं।

अघोरी साधुओं के नियम और परंपराएं

अघोरी साधु अपने जीवन में कई असामान्य परंपराओं और नियमों का पालन करते हैं।

1. विभूति से शरीर ढकना

अघोरी साधु श्मशान की राख (विभूति) से अपने शरीर को ढकते हैं। यह उनके जीवन और मृत्यु के प्रति समान दृष्टिकोण का प्रतीक है।

2. मानव खोपड़ी का उपयोग

अघोरी साधु मानव खोपड़ी (कपाल) का उपयोग भोजन के पात्र के रूप में करते हैं। यह उन्हें सांसारिक चीजों से मुक्त रहने की शिक्षा देता है।

3. मांसाहार और आहार प्रथाएं

अघोरी साधु कभी-कभी मांस, यहां तक कि कच्चे मांस का सेवन भी करते हैं। यह उनकी साधना का हिस्सा है, जो समाज की सामान्य मान्यताओं से विपरीत है।

अघोर पंथ और काला जादू

1. अघोरी और काला जादू का मिथक

अघोरियों को अक्सर काले जादू से जोड़ा जाता है। हालांकि, यह धारणा पूरी तरह सही नहीं है।

  • काला जादू आमतौर पर नकारात्मक उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
  • अघोरी साधु इसे आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने के लिए उपयोग करते हैं, न कि किसी को हानि पहुंचाने के लिए।

2. विवाद और धारणाएं

अघोरी साधुओं को लेकर कई भ्रांतियां हैं। कुछ लोग उन्हें अलौकिक शक्तियों वाला मानते हैं, जबकि कुछ इसे मात्र मिथक समझते हैं।

अघोरियों के पास मानव खोपड़ी कहां से आती है?

1. खोपड़ी की परंपरा

अघोरियों द्वारा मानव खोपड़ियों का उपयोग उनकी साधना की प्राचीन परंपरा का हिस्सा है।

  • ये खोपड़ियां आमतौर पर श्मशान घाटों से प्राप्त होती हैं।
  • कुछ साधक अपनी मृत्यु के बाद अपनी खोपड़ी अर्पित करने की इच्छा व्यक्त करते हैं।

2. सामाजिक धारणा

मानव खोपड़ी का उपयोग समाज में विवाद और जिज्ञासा का विषय बना हुआ है। इसे रहस्यमय परंपरा के रूप में देखा जाता है।

अघोरी साधुओं के लंबे बाल

1. बालों का महत्व

अघोरी साधु भगवान शिव के सम्मान में अपने बाल बढ़ाते हैं।

  • शिव को जटाधारी माना जाता है, और अघोरी उनके इस स्वरूप का अनुसरण करते हैं।
  • लंबे बाल अघोरियों को बाहरी दुनिया से अलग रखने का प्रतीक हैं।

2. आत्म-अनुशासन का प्रतीक

लंबे बाल अघोरियों की साधना और अनुशासन का प्रतीक हैं। यह उन्हें सांसारिक चीजों से दूर रखने में मदद करता है।

अघोरी साधुओं की शक्ति और समाज में धारणा

अघोरी साधु रहस्यमयी शक्तियों के लिए जाने जाते हैं।

  • वे मानसिक और आध्यात्मिक शांति के लिए गहन साधना करते हैं।
  • समाज में उनके प्रति डर और जिज्ञासा का मिश्रण पाया जाता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. voiceofindia.online इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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