शहीद सुधीर यादव को पत्नी ने आखिरी खत सौंपा…
हम ठीक हैं, फिर मिलेंगे, लेकिन यह चिट्ठी पढ़ना जरूर
– बेटे का पार्थिक शरीर देखकर पिता के शब्द हुए मौन
– मां की वेदना देखकर बिलखने लगे मौजूद सभी चेहरे
– बुधवार को बिठूर में होगा ससम्मान अंतिम संस्कार
– पैतृक गांव में हाजिरी के बाद पंचतत्व में होंगे विलीन
कानपुर। भारत माता की सेवा में प्राण न्योछावर करने वाले सपूत सुधीर यादव की पार्थिव देह मंगलवार को मम्मी-पापा के सामने मौजूद थी। होनहार बच्चे को खोने के गम में पिता की आंखें नम थीं, जबकि जुबां मौन। मां की करुण दहाड़ें सुनकर धरती-गगन का कलेजा भी कांप रहा था। भाई-बहन और परिजनों के अश्कों के दरिया से संवेदनाओं का सैलाब श्यामनगर के रामपुरम में उफान पर नजर आया। नाजुक और गमगीन माहौल में शहीद सुधीर की पत्नी ने अंतिम प्रणाम करते हुए शूरवीर को अगले जन्म में फिर मिलने के वादे के साथ विदा किया। आंसुओं पर काबू नहीं था, लेकिन खुद को संभालते हुए चिट्ठी लिखकर आग्रह किया कि, इसे पढ़ना जरूर।
सदैव हंसते थे, गलती हुई तो माफ करना
मैराथन इंतजार के बाद मंगलवार की दोपहर 1.40 बजे श्यामनगर के रामपुरम में शहीद सुधीर यादव का पार्थिक शरीर उनके आवास पहुंचा तो सब्र का बांध टूट गया। नौसेना के कोस्टगार्ड की यूनिट ने तिरंगे में लिपटे सुधीर को मकान की देहरी के सामने रखा तो खिड़की से टकटकी लगाए सुधीर की पत्नी आवृति नैथानी बिलखती हुईं, खुद को संभालते हुए अपनी छोटी बहन के साथ चौखट लांघकर बाहर आईं, लेकिन अपने बहादुर जीवनसाथी की चिरनिद्रा में देखकर फफकने लगीं। पटना में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट आवृति ने पार्थिव देह पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ सुधीर के नाम लिखी एक चिट्ठी भी कदमों के पास रखकर आग्रह किया कि- बहुत कुछ लिखा है, इसे पढ़ना जरूर। देशसेवा के लिए बहादुर लोग ऐसा ही करते हैं, मुझे तुम पर गर्व है। तुम हमेशा हंसते रहते रहे हमारे लिए, तुम्हारे बिना हम सब कैसे रहेंगे। यह कमी कभी पूरी नहीं हो सकेगी। जिंदगी भर के लिए रुलाकर चले गए हो, यदि हमसे कोई गलती हुई है तो क्षमा करना। हम ठीक हैं, जहां भी रहना अपना ख्याल रखना। फिर मिलेंगे… लव यू…. मिस यू…
नए साल में आने का वादा था, लेकिन ऐसे नहीं
सेना से रिटायर पिता नवाब सिंह यादव अपने आंसुओं को छिपाने का असफल प्रयास करते रहे। अंदर से टूट चुके पिता ने किसी से कोई संवाद नहीं किया। सुधीर की मम्मी राजमणि यादव की करुण गुहार सुनकर मौजूद लोगों की आंखों से दरिया छलकने लगा। तिरंगे में लिपटे दुलारे छोटे बेटे को छाती से लगाने की कोशिश थी, लेकिन मजबूर थीं। सुधीर ने मम्मी से नए साल में छुट्टी लेकर आने का वादा किया था। इसी वादे को याद दिलाते हुए मां ने सपूत को उलाहना भी दिया कि, इस तरह से आने की बात नहीं हुई थी। मां ने बेटे से कहाकि, कायदे से मेरी अंतिम विदाई में तुम्हें माला-फूल पहनाना था, लेकिन यहां तो उल्टा हो गया है। सुधीर की बहन और बड़े भाई रोते-बिलखते हुए परिजनों और रिश्तेदारों को संभालने की जिम्मेदारी निभाते रहे। मोहल्ले के हंसमुख साथी को विदा करने के लिए रामपुरम के साथ-साथ श्यामनगर से चप्पे-चप्पे से तमाम चेहरे नवाब सिंह यादव की देहरी पर पहुंचे थे।
महाना-रुमी ने रुंधे गले से अर्पित किये श्रद्धा-सुमन
कोस्टगार्ड में बतौर हेलीकॉप्टर पायलट देश-सेवा करने वाले सुधीर यादव को श्रद्धांलजि अर्पित करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के साथ, क्षेत्रीय विधायक मोहम्मद हसन रुमी, पार्षद निर्देश सिंह, पूर्व विधायक रघुनंदन सिंह भदौरिया, डीसीपी-पूर्वी श्रवण कुमार सिंह, एसीपी दिलीप सिंह, सपा जिलाध्यक्ष फजल महमूद, सपा नेता फतेह बहादुर सिंह गिल के साथ-साथ पूर्व सैनिक मौजूद थे। करीब दो घंटे तक श्यामनगर आवास पर अंतिम दर्शन के बाद सुधीर के पार्थिक शरीर को एयरफोर्स अस्पताल की मार्चुरी में रखा दिया गया है। परिजनों की इच्छा के अनुसार, बुधवार की सुबह पैतृक आवास – कानपुर देहात के शिवली हरकिशनपुर में करीब 10 बजे तक पहुंचेगा। वहां पर अंतिम दर्शन के बाद बिठूर घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा।
लैंडिंग के वक्त हादसे में हुए शहीद
गौरतलब है कि रविवार को गुजरात के पोरबंदर में सफल मेडिकल रेस्क्यू के बाद लौटते वक्त दोपहर 12.30 बजे एयरपोर्ट पर लैंडिंग के वक्त तकनीकी खराबी के कारण सुधीर का हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हादसे में तीन नौसैनिकों शहीद हो गए थे। सुधीर भारतीय तटरक्षक बल में एडवांस्ड लाइट हेलीकाप्टर (एएलएच) में आठ साल से पायलट थे। मंगलवार सुबह सुधीर का पार्थिव शरीर विशेष विमान से सुबह लखनऊ पहुंचा, जहां से चकेरी एयरपोर्ट लाया गया।