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विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 66, तो कांग्रेस 62 ओबीसी नेताओं पर दांव लगाया, जानिए क्या है मास्टर प्लान

– विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 66, तो कांग्रेस 62 ओबीसी नेताओं पर दांव लगाया

भोपाल (ईएमएस)। मध्यप्रदेश में 17 नवंबर के होने वाले विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा-कांग्रेस दोनों ब्राह्मण, बनिया और ठाकुरों को दरकिनार कर ओबीसी-ओबीसी (पिछड़ा वर्ग) खेल रहे हैं। भाजपा ने ओबीसी वोटर्स को रिझाने 230 सीटों में से 66 पर, तो कांग्रेस ने 62 सीटों पर ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है। ओबीसी वर्ग को लुभाने का फार्मूला भाजपा-कांग्रेस दोनों में से किसे कितना लाभकारी रहा, यह चुनाव नतीजों के बाद ही दिखाई आएगा।

राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट के अनुसार मप्र में 48 प्रतिशत ओबीसी आबादी है। प्रदेश की 230 में से 70 से विधानसभा क्षेत्रों में ओबीसी वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं। इसमें विंध्य, बुंदेलखंड और महाकौशल के कई विधानसभा क्षेत्रों में ओबीसी वोटर्स प्रभावी भूमिका में हैं। इसीलिए भाजपा ने टिकट वितरण में ओबीसी वर्ग का खास ख्याल रखा है। भाजपा ने इस बार ओबीसी वर्ग के 66 उम्मीदवारों (44 फीसदी ) को चुनाव मैदान में उतारा है। इसमें ओबीसी वर्ग की 6 महिलाओं को भी उम्मीदवार बनाया है। जबकि सामान्य वर्ग से 78 उम्मीदवारों को टिकट दिया है।

 

कांग्रेस का भी ओबीसी पर खास फोकस
इसी तरह से कांग्रेस ने भी इस बार ओबीसी वर्ग पर खास फोकस किया है। उसनेओबीसी वर्ग 62 नेताओं को टिकट दिया है। अर्थात 42 प्रतिशत ओबीसी उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है। जबकि 80 सीटों पर ब्राह्मण, बनिया और ठाकुर नेताओं को उम्मीदवारों को बनाया है। मुस्लिम वर्ग से सिर्फ दो टिकट दिए हैं। कांग्रेस ने 2018 की विधानसभा चुनाव में ओबीसी वर्ग को 60 टिकट दिए थे।

चला जातिगत जनगणना का दांव
कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में ओबीसी पर फोकस करने के साथ मध्यप्रदेश में जातिगत जनगणना का भी दांव खेला है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी पिछले दिनों मध्यप्रदेश आगमन पर कह चुके हैं कि मप्र में कांग्रेस सरकार बनने पर जातिगत जनगणना कराएंगे। इसके साथ मप्र कांग्रेस ने अपने चुनावी वचन पत्र में ओबीसी को रिझाने के लिए कई वचन दिए हैं।

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